चिट्ठी कहे मोबाइल से
चिट्ठी कहे मोबाइल से
खुश था
नया मोबाइल ले आया
निकला डिब्बे से
जल्दबाजी में
पुरानी चिठ्ठी पर गिराया
चिल्लाई चिट्ठी
बेशर्म होश में आ
पूछा कौन है तू
हंसा मोबाइल
परिचय यूँ बताया
जान हूँ इंसान की
नहीं मुझ बिन गुजारा
दूरियां मिटा दी मैंने
मोबाइल नाम हमारा
चिट्ठी झल्लाई बोली
बदतमीज चिट्ठी हूं मैं चिट्ठी
सदियों से
प्यार मोहब्बत सुख-दुख संदेश
बांटती आई हूं
दिलों की आस रोजगार थी मैं
उकरा इक इक लफ्ज
प्यार मोहब्बत मोती सरीखा
बेजोड़ कला थी मेरी
दिल छू जाना
देश के कोने कोने में घूम आती
जहाँ जहाँ मैं जाती
बांध रखती दिलों को
खुशियां ही खुशियां देती
दिल न किसी का टूटने देती
और तू ऐसा या मनहूस
बस उंगलियों की करामात हो गया चिट्ठियों का संसार बर्बाद हो गया
खत्म हुई आत्मीयता प्यार भावनाएं
एक क्लिक पर रिश्तो के
बनने बिगड़ने का आधार हो गया
मैं आती थी
हँसाती गुदगुदाती थी
तनाव से तूने मानव को जोड़ दिया .
बच्चे भी पास आते नहीं
खाना भी कमरे में मंगवाते
खेल खिलौने रख एक कोने
पब्जी खेल खेल जान गवाते
चिड़चिड़े हुए
पढ़ाई में मन ना लगाते
मानती हूं
नहीं तुझ बिन गुजारा
याद है करोना काल में
दफ्तर स्कूल चलाए
मदद से तेरी
भूखे को रोटी
बीमार अस्पताल पहुंचाये
दी ढेर सारी सुविधाएं
देश की तरक्की में
अमूल्य सहयोग तेरा
लेकिन भूलो मत मुझे
इंसान के दिलों में घर मेरा
भूले भुला न सकोगे
भाई जमाना बदल गया
बढ़ते जाओ आगे
मैं लड़ती रहूंगी
वजूद की लड़ाई
मैं लड़ती रहूंगी
वजूद की लड़ाई
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 87726
HARSHADA GOSAVI
04-Aug-2023 08:12 AM
Very nice
Reply
Abhinav ji
04-Aug-2023 07:08 AM
Very nice
Reply